नई पुस्तकें >> तिनका एक सफरनामा तिनका एक सफरनामासंजीव दीक्षित
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‘‘तिनका - एक सफरनामा’’ एक किताब मात्र नहीं है और न ही कविताओं के संग्रह तक सीमित है बल्कि मेरे लिए खुली आँख से देखा ख्वाब है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘‘तिनका - एक सफरनामा’’ एक किताब मात्र नहीं है और न ही कविताओं के संग्रह तक सीमित है बल्कि मेरे लिए खुली आँख से देखा ख्वाब है जो इंसान ताउम्र जीना चाहता है चाहे हर तरफ कितनी भी उथल-पुथल क्यों न हो। वो कहते हैं न ‘डूबते को तिनके का सहारा ही सही’ ये बात सौ आने इस किताब को पढ़ने वाले को महसूस होगी और कहीं न कहीं रूह से रूह को दस्तक होगी, जब तिनका नामी ये कवितायें पाठक को ऊबार लायेंगी तर्जुबों की असीमित गहराइयों से, जिंदगी के इंद्रधनुषी मौसमों की चुभन से। ‘तिनका - एक सफरनामा’ में लिखी हर एक पंक्ति, हर एक शब्द एक सच है और सच हमेशा पारदर्शी होता है।